RBI NEW RULE: भारत में सिक्के और नोटों का इतिहास बहुत पुराना है। हमारे देश में पैसों के लेन-देन का यह साधन सदियों से चला आ रहा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन सिक्कों और नोटों को बाजार में लाने या चलन से बाहर करने का फैसला कौन लेता है? यह अधिकार सिर्फ भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास है। वे मिलकर यह तय करते हैं कि कौन से सिक्के या नोट चलन में रहेंगे और कौन से नहीं।
आज हम बात करेंगे 5 रुपये के सिक्के की, जो हाल के वर्षों में काफी चर्चा में रहा है। आपने ध्यान दिया होगा कि पहले 5 रुपये का एक मोटा सा सिक्का हुआ करता था। फिर कुछ समय बाद, बाजार में एक नया, पतला और सुनहरे रंग का 5 रुपये का सिक्का आया। अब वह पुराना मोटा सिक्का लगभग गायब हो गया है। आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ और इसके पीछे क्या कारण थे।
सिक्के की दो कीमतें: सरफेस वैल्यू और मेटल वैल्यू
- सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि हर सिक्के की दो तरह की कीमतें होती हैं। पहली है ‘सरफेस वैल्यू’ और दूसरी है ‘मेटल वैल्यू’।
- सरफेस वैल्यू: यह वह कीमत है जो सिक्के पर लिखी होती है। जैसे, 5 रुपये के सिक्के पर 5 लिखा होता है। यह उसकी सरफेस वैल्यू है।
- मेटल वैल्यू: यह उस धातु की कीमत है जिससे सिक्का बना है। अगर सिक्के को पिघला दिया जाए, तो उस धातु की कीमत ही उसकी मेटल वैल्यू होगी।
पुराने 5 रुपये के सिक्के की कहानी
पुराना 5 रुपये का सिक्का काफी मोटा होता था। इसे बनाने में ज्यादा धातु लगती थी। यहां एक दिलचस्प बात है। इस सिक्के को बनाने में जो धातु इस्तेमाल होती थी, वह वही थी जिससे दाढ़ी बनाने के ब्लेड भी बनते हैं। अब समस्या यह थी कि इस सिक्के की मेटल वैल्यू उसकी सरफेस वैल्यू से ज्यादा हो गई थी। यानी, अगर इस सिक्के को पिघलाकर धातु बेची जाए, तो 5 रुपये से ज्यादा पैसे मिल सकते थे।
सिक्के का दुरुपयोग: एक बड़ी समस्या
जब कुछ लोगों को इस बात का पता चला, तो उन्होंने इसका गलत फायदा उठाना शुरू कर दिया। सबसे बड़ी समस्या यह थी कि ये सिक्के बड़ी मात्रा में बांग्लादेश में अवैध रूप से भेजे जाने लगे। वहां क्या होता था? इन सिक्कों को पिघलाकर ब्लेड बनाए जाते थे।
सोचिए, एक 5 रुपये के सिक्के से 6 ब्लेड बन जाती थीं। हर ब्लेड 2 रुपये में बिकती थी। इस तरह, एक 5 रुपये के सिक्के से 12 रुपये कमाए जा सकते थे। यह एक बहुत बड़ा मुनाफा था। इसलिए, लोग ज्यादा से ज्यादा सिक्के इकट्ठा करके उन्हें बांग्लादेश भेजने लगे।
इसका नतीजा यह हुआ कि भारत के बाजार में 5 रुपये के सिक्के कम होने लगे। लोगों को छोटे-मोटे लेन-देन में परेशानी होने लगी। यह एक गंभीर समस्या बन गई थी।
आरबीआई का कदम: नया सिक्का
जब सरकार और आरबीआई को इस समस्या का पता चला, तो उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने 5 रुपये के सिक्के को नए सिरे से डिजाइन किया। नया सिक्का पुराने की तुलना में पतला बना दिया गया। साथ ही, इसे बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली धातु भी बदल दी गई।
इस नए सिक्के की मेटल वैल्यू उसकी सरफेस वैल्यू से कम रखी गई। यानी, अब अगर कोई इस सिक्के को पिघलाकर धातु बेचना चाहे, तो उसे 5 रुपये से कम ही मिलेंगे। इस तरह, सिक्कों के दुरुपयोग पर रोक लग गई।
नए सिक्के के फायदे
- कम धातु का इस्तेमाल: नए सिक्के पतले होने के कारण इनमें कम धातु लगती है। इससे सरकार का खर्च कम होता है।
- दुरुपयोग पर रोक: चूंकि अब सिक्के की मेटल वैल्यू कम है, इसलिए इसे पिघलाकर फायदा नहीं होता। इससे सिक्कों की तस्करी और दुरुपयोग पर रोक लगी है।
- ज्यादा सिक्के बनाना आसान: कम धातु लगने के कारण, सरकार एक ही कीमत में ज्यादा सिक्के बना सकती है। इससे बाजार में सिक्कों की कमी नहीं होती।
- हल्के और सुविधाजनक: नए सिक्के पुराने की तुलना में हल्के हैं। इससे लोगों को उन्हें रखने और इस्तेमाल करने में आसानी होती है।
सिक्कों का महत्व
हालांकि आजकल डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ रहा है, फिर भी सिक्कों का अपना महत्व है। छोटे-मोटे लेन-देन में, खासकर गांवों और छोटे शहरों में, सिक्कों का इस्तेमाल अभी भी बहुत होता है। इसलिए यह जरूरी है कि बाजार में पर्याप्त मात्रा में सिक्के हों।
सिक्कों की सुरक्षा
सरकार और आरबीआई सिक्कों की सुरक्षा को लेकर हमेशा सतर्क रहते हैं। वे समय-समय पर सिक्कों के डिजाइन और धातु में बदलाव करते रहते हैं। इससे न सिर्फ सिक्कों का दुरुपयोग रोका जाता है, बल्कि नकली सिक्के बनाने वालों पर भी लगाम लगती है।
आम लोगों की जिम्मेदारी
हमारी भी कुछ जिम्मेदारियां हैं:
- सिक्कों का सही इस्तेमाल करें। उन्हें इकट्ठा करके न रखें।
- अगर आपको कोई सिक्कों का दुरुपयोग करता दिखे, तो उसकी सूचना पुलिस या बैंक को दें।
- पुराने सिक्के मिलें तो उन्हें बैंक में जमा करा दें। बैंक उन्हें आरबीआई तक पहुंचा देगा।
- नए सिक्कों को पहचानना सीखें ताकि आप नकली सिक्कों से बच सकें।
5 रुपये के सिक्के की यह कहानी हमें बताती है कि हमारी अर्थव्यवस्था कितनी जटिल है। एक छोटे से सिक्के में इतनी बड़ी कहानी छिपी हो सकती है, यह सोचकर हैरानी होती है। लेकिन यह भी दिखाता है कि हमारी सरकार और आरबीआई कितनी सतर्कता से काम करते हैं।
अगली बार जब आप 5 रुपये का सिक्का देखें, तो उसकी इस कहानी को याद कीजिएगा। यह सिर्फ एक सिक्का नहीं है, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था की एक छोटी सी तस्वीर है।